भारतीय वायु सेना की शुरुआत चार वेस्टलैंड वापिती सेना समर्थित हवाई जहाजों, आरएएफ प्रशिक्षित अफसरों तथा 19 हवाई सिपाहियों वाले छोटे से बेड़े के रूप में हुई थी। वर्तमान में यह उत्कृष्ट तकनीकी एवं विशिष्ट लड़ाकू बल वाली विश्व की चौथी बड़ी वायु सेना है जो शत्रुओं के आक्रमण से हमारे आकाश की सुरक्षा करती है।
भारतीय वायु सेना के इतिहास के काल-वृत्त की एक झलक हमारी महान वायु सेना की शानदार यात्रा को समझने में मदद करेगी।
भारतीय वायु सेना के इतिहास की उपर्युक्त दो युगांतरकारी तिथियां हैं। 08 अक्तूबर 1932 को भारतीय वायु सेना अस्तित्व में आई तथा 01 अप्रैल 1954 को भारतीय वायु सेना के संस्थापक सदस्यों में से एक एयर मार्शल सुब्रोतो मुखर्जी प्रथम भारतीय वायुसेनाध्यक्ष बने।
इस दौरे ने विश्व युद्ध II में दूसरी बार मानवता के इतिहास में सबसे अधिक रक्तरंजित युद्ध देखें हैं। युद्ध के दौरान भावासे ने यूके को अपना समर्थन दिया। भारतीय वायु सेना के महान नायकों में से एक के के मजूमदार को एलाइड वायु सेनाओं के बारह सर्वश्रेष्ठ पायलटों में जगह दी गई।
यह दशक आजाद भारत के उदय का भी साक्षी बना जिसके बाद भारतीय वायु सेना का गठन हुआ, जिसे आज हम जानते हैं।
इस दौरान वायुयान के अधिग्रहण के साथ भारतीय वायु सेना नए युग में प्रवेश कर गई थी। इस दौर में दो भारत-पाक युद्ध भी हुए इन दोनो युद्धों में भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तानी हवाई प्रयासों को निष्प्रभावी कर दिया था। भावासे ने कांगों में संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक मिशन में भी योगदान दिया तथा पूरे समर्पण एवं प्रतिबद्धता के साथ चीन भारत संघर्ष का सामना किया।
अगेल दो दशकों में भारतीय वायु सेना ने बड़े स्तर पर अपने वायुयानों एवं उपस्करों को अपग्रेड किया। इस प्रक्रिया के भाग के रूप में, भारतीय वायु सेना ने लगभग बीस से अधिक नए किस्म के वायुयानों की जगह जगुआर एवं मिग वायुयानों की विभिन्न किस्मों को शामिल किया। मिग एक परिवर्तनकारी वायुयान है जिसे अस्सी के दशक में भारतीय बेड़े में शामिल किया गया था।
इसी अवधि में भारतीय वायुसेना कार्मिकों ने कई विश्व रिकॉर्ड भी बनाए। स्क्वॉड्रन लीडर मक्कड तथा फ्लाइट लेफ्टिनेंट आरटीएस चिन्ना ने 5050 मीटर की ऊंचाई पर लद्दाख में अपने एमआई-17 हेलिकॉप्टर से बमबारी करने का विश्व रिकॉर्ड बनाया। स्क्वॉड्रन लीडर संजय थापर दक्षिण ध्रुव पर पैरा जम्प करने वाले पहले भारतीय बने। नए परिदर्श की खोज में, भारत-सोवियत अंतरिक्ष कार्यक्रम के हिस्से के रूप में बाह्य अंतरिक्ष में जाने का साहसिक कार्य करने वाले स्क्वॉड्रन लीडर राकेश शर्मा प्रथम भारीतय अंतरिक्ष पात्री थे।
बीसवीं सदी के अंतिम दशक में वायु सेना में महिलाओं के शॉर्ट सर्विस कमीशन के रूप में भर्ती होने से भारतीय वायु सेना की संरचना में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला। यह वह समय था जब वायु सेना ने कई बेहद खतरनाक ऑपरेशनों को अंजाम दिया। वर्ष 1999 में भारतीय वायु सेना द्वारा अंजाम दिया गया ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ संसार की किसी भी वायु सेना द्वारा किए गए ऑपरेशनों में सबसे विलक्षण वायु ऑपरेशन था। घुसपैठ कर रहे शत्रुओं के विरुद्ध प्रतिकूल जलवायु में अभूतपूर्व ऊंचाई पर हवाई हमले करके विजय हासिल की। भारतीय वायु सेना ने मानवीय ऑपरेशन के भाग के रूप में सोमालिया में शांति रक्षक मिशन में भी हिस्सा लिया।
इस अवधि के दौरान महिलाओं को फाइटर पायलटों के रूप में भी भर्ती किया गया, इस प्रकार महिलाओं के लिए भावासे की सभी ब्रांचों में भर्ती होने के अवसर प्राप्त हो गए।